GOODS AND SERVICE TAX COUNSIL INFORMATION

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                                       जीएसटी से संबंधित सभी शिकायतों का समाधान:-   जीएसटी पोर्टल पर बढ़ती कंप्लेंट को देखते हुए सरकार ने अब एक बड़ा प्लेटफॉर्म बनाया है, जो जीएसटी पोर्टल पर हेल्पडेस्क की जगह की जगह लेगा। जीएसटीएन ने एक कंप्लेंट सेल बनाई है, जहां पर जीएसटी से संबंधित सभी शिकायतों को दूर किया जाएगा। नए सिस्टम के बाद कारोबारियों की प्रॉब्लम का सॉल्यूशन कम समय में किया जाएगा।   बढ़ रहीं थी जीएसटी पोर्टल पर शिकायतें जीएसटी पोर्टल के अधिकारी ने बताया कि वेबसाइट पर शिकायत करने के तरीके को बेहतर किया गया है। अभी तक हेल्पडेस्क के लिए ई-मेल आईडी बनाया हुआ था जिस पर सारी शिकायतें आ रही थी। शिकायतों का फ्लो बढ़ने के कारण जीएसटी पोर्टल पर ही कंप्लेंट सिस्टम को बेहतर किया गया है। अभी कारोबारी और ट्रेडर्स सीधे जीएसटी पोर्टल की वेबसाइट पर शिकायत कर सकते हैं।    पहले बना था हेल्पडेस्क अभी तक किसी भी समस्या के लिए हेल्पडेस्क बना हुआ था जहां ट्रेडर्स और कारोबारी शिकायत कर सकते थे। पर ई-मेल करने का ऑप्शन था लेकिन अब ई-मेल बंद कर दिया गया है। इसके बदले नया शिकायत सिस्टम शुरू

GST, reverse charge , न्यू रिटर्न फाइलिंग सिस्टम, थ्रेसहोल्ड लिमिट फ़ॉर कम्पोजीशन स्कीम एंड GST लेटेस्ट अपडेट्स


All New Updates About GST




  • GST Tax slabs क्या हैं? :-
  • GST Council के द्वारा बनाये गए नियमों अनुसार GST Tax के चार Slab होंगे। 5%, 12%, 18%, और 28% । इन सब में Luxury Items पर अधक्तम Tax लगाया जाएगा यानी की 28% और रोजाना उपयोग में आने वाली जीवन ज़रूरी चीजों पर कम से कम टैक्स यानी की 5% Tax लागू होगा। बाकी Tax Slab चीजों की उत्पादन, आयात, निकास और जरूरतों के अनुसार Apply किये जाएंगे। यह सिस्टम वर्ष 2017 इसी वर्ष जुलाई से लागू होना है। इस आसान Tax सिस्टम से आम लोगों को काफी फायदा होगा। Tax Regulation System भी आसान होगा। बड़ी Companies को कारोबार करने में आसानी होगी।
मुख्यालय से दूसरे राज्यों में दी जाने वाली सर्विसेस को माना जाएगा सप्लाई, सैलरी पर लगेगा 18%  GST  मुख्यालय से दूसरे राज्यों में दी जाने वाली सेवाओं की सैलरी पर GST :-                                            
किसी कंपनी के हेडक्वार्टर द्वारा दूसरे स्टेट में स्थित उसकी ब्रांच ऑफिस को  अकाउंटिंग, आईटी, मानव संसाधन जैसी सर्विस प्रोवाइड करने के लिए दिए जाने वाली सैलरी पर 18 % GST लगेगा। एडवांस रूलिंग अथॉरिटी (AAR) की कर्नाटक पीठ द्वारा जारी आदेश के अनुसार दो ऑफिसों के बीच इस तरह की गतिविधियां जीएसटी कानून के तहत सप्लाई मानी जाएंगी।
AAR के अनुसार अकाउंटिंग, अन्य प्रशासनिक और आईटी सिस्टम के रखरखाव के संदर्भ में कॉर्पोरेट  कार्यालय में कार्यरत कर्मचारी अन्य राज्यों में स्थित ब्रांचेज के लिए जो काम करते हैं, उन पर सेंट्रल गुडस एंड सर्विसेज टैक्स एक्ट 2017 की धारा 25 (4) के तहत CGST कानून की अनुसूची 1 की प्रविष्टि 2 के अंतर्गत सप्लाई माना जाएगा।

क्या कह रहे हैं जानकार :-
जानकारों के अनुसार इस व्यवस्था का मतलब है कि जिन कंपनियों के ऑफिस मल्टीपल स्टेट में हैं, उन्हें हेडक्वार्टर में कर्मचारियों द्वारा अन्य राज्यों में स्थित ब्रांच को कामकाज में मदद के बदले में GST वसूलना होगा। हालांकि ऐसी सप्लाईज पर लिए जाने वाले GST पर इनपुट टैक्स क्रेडिट  का क्लेम किया जा सकता है। जिन कंपनियों को GST से छूट है, वे क्रेडिट का दावा नहीं कर पाएंगी। साथ ही इससे कंपनियों का कॉम्प्लायंस बर्डेन बढ़ेगा, क्योंकि उन्हें इंटरस्टेट सर्विसेज के लिए इनवॉयस बनाना होगा।

किसे है छूट :-
एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के पार्टनर रजत मोहन का कहना है कि इस तरह से सर्विसेज की सप्लाई  पर 18 फीसदी GST लगेगा। यह देशभर में काम करने वाली कंपनियों के लिए झटका है। हालांकि, एजुकेशन, हॉस्पिटल, एल्कोहल और पेट्रोलियम जैसे क्षेत्र को GST से छूट है।

SMS से GST रिटर्न फाइल कर सकेंगे NILL टैक्‍सपेयर्स, जल्‍द आ रहा नया सिस्‍टम :-
GST काउंसिल ने दे दी है मंजूरी, जनवरी 2019 से लागू करने की है प्‍लानिंग :-
कारोबारियों को गुड्स एंड सर्विसेज टैक्‍स (GST) रिटर्न भरने में आसानी रहे, इसके लिए जीएसटी काउंसिल ने GST रिटर्न फाइलिंग के लिए एक नए और सरल फॉर्मेट को मंजूरी दी है। यह नया फॉर्मेट है मैसेज यानी एसएमएस के जरिए रिटर्न फाइल करने का। इस नए फॉर्मेट के तहत वे कारोबारी एसएमएस से रिटर्न फाइल कर सकेंगे, जिन्‍होंने पूरी तिमाही के दौरान किसी भी तरह की खरीद या सप्‍लाई नहीं की है और इसके चलते उन पर कोई टैक्‍स नहीं बनता है। ऐसे कारो‍बारियों को NILL फिलर्स कहा जाता है। 
यह जानकारी GST कमिश्‍नर ने दी हैं कहा जा रहा है कि इस नए सिस्‍टम के आने से रिटर्न फाइलिंग के टाइम में कटौती होगी। उनके मुताबिक, GST रिटर्न फाइलिंग के लिए नए फॉर्म्‍स के ड्रॉफ्ट स्‍टेकहोल्‍डर्स के सुझाव के लिए सोमवार तक पब्लिक डोमेन पर उपलब्‍ध करा दिए जाएंगे। नए रिटर्न फॉर्म टैक्‍सपेयर्स को अगले साल सितंबर तक संशोधन कर सकने का विकल्‍प देंगे। गुप्‍ता बृहस्‍पतिवार को कन्‍फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्‍ट्री की एक मीटिंग में बोल रहे थे। 
वित्‍त मंत्री अरुण जेटली की अध्‍यक्षता वाली GST काउंसिल ने पिछले हफ्ते नए रिटर्न फाइलिंग फॉर्म को मंजूरी दी थी। ये फॉर्म मौजूदा GSTR-1 और GSTR-3B को रिप्‍लेस करेगा। 

नया रिटर्न फाइलिंग सिस्‍टम जनवरी 2019 से अमल में लाने की योजना :-
रेवेन्‍यु डिपार्टमेंट की योजना नए रिटर्न फाइलिंग सिस्‍टम को जनवरी 2019 से अमल में लाने की है। गुप्‍ता ने आगे कहा कि GST कानून में काउंसिल से मंजूर संशोधनों को मानसून सत्र के दौरान संसद में पेश किया जाएगा। उसके बाद राज्‍य विधानसभाएं इसे पास करेंगी और फिर ये प्रभाव में आएंगे।  

कंपोजीशन स्‍कीम के लिए थ्रेसहोल्‍ड लिमिट 1.5 करोड़ रु. करने का भी प्रस्‍ताव:-
संशोधन के मुताबिक कंपोजीशन स्‍कीम का फायदा लेने के लिए थ्रेसहोल्‍ड लिमिट को 1 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 1.5 करोड़ रुपए किए जाने का प्रस्‍ताव है। हालांकि इस पर आखिरी फैसला होना अभी बाकी है। अन्‍य संशोधनों में रिवर्स चार्ज मैकेनिज्‍म का मोडिफिकेशन, अलग-अलग बिजनेस वर्टिकल्‍स वाली कंपनियों के लिए अलग रजिस्‍ट्रेशन, रजिस्‍ट्रेशन का कैंसिलेशन, नए रिटर्न फाइलिंग कानून और कई इनवॉइसेज को कवर करने वाले कंसोलिडेटेड डेबिट या क्रेडिट नोट जारी किया जाना आदि शामिल है। 


रिवर्स चार्ज का अर्थ – Reverse Charge :-
GST में सामान्यत: Supplier यानि वस्तु या सेवा को बेचने वाला व्यक्ति Customer से GST चार्ज करता हैं और सरकार को जमा करवाता हैं| लेकिन कुछ परिस्थितियों में GST की जिम्मेदारी Supplier पर न होकर Receiver यानि वस्तु या सेवा खरीदने वाले व्यक्ति पर होती हैं, इसे ही Reverse Charge Mechanism (RCM) कहते हैं| Reverse Charge में क्रेता GST का भुगतान विक्रेता को न करके सीधा सरकार को जमा को जमा करवाता हैं| कुछ परिस्थितियों में Partial Reverse Charge भी होता हैं यानि कि GST के कुछ भाग की जिम्मेदारी क्रेता पर और बाकी हिस्से की जिम्मेदारी विक्रेता पर होती हैं|
 उदाहरण के लिए अगर कोई व्यक्ति किसी Service को Import करता हैं तो यह परिस्थति रिवर्स चार्ज में आती हैं इसलिए इस परिस्थति में क्रेता ने जितनी Value की Service Import की हैं, उस पर वह GST Calculate करके सरकार को जमा कराएगा .
Reverse Charge में GST Registration
 :-
सामान्य रूप से GST में Registration करवाने की जरूरत तब पड़ती हैं जब उसका वार्षिक विक्रय छूट सीमा यानि कि 20 लाख रूपये ( उत्तरी पूर्वी राज्यों में 10 लाख रूपये) से अधिक हो| लेकिन अगर कोई व्यक्ति जो Reverse Charge के अंतर्गत Liable हैं तो उसे Registration करवाना पड़ेगा, भले ही उसकी Annual Sale जीएसटी की छूट सीमा से कम हो| उदाहरण के लिए अगर कोई फर्म, कंपनी या व्यापारी किसी Lawyer यानि कि वकील की सेवाएँ अपने व्यापार के लिए लेता हैं तो वह Reverse Charge में Liable हैं ऐसी परिस्थति में उस फर्म या कंपनी को GST में रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ेगा भले ही उसका turnover कितना भी हो

 सरकार ने कुछ सेवाएँ  नोटिफाई की हैं और ऐसी परिस्थितियों में GST की जिम्मेदारी विक्रेता पर न होकर क्रेता पर होगी| ऐसी सेवाएँ निम्न हैं –
सेवाएँ जिन पर रिवर्स चार्ज लागू होता हैं – Services Covered Under RCM
सेवाओं का आयात -Import of Services
ट्रांसपोर्ट एजेंसी की सेवाएँ – Goods Transport Agency Services (GTA)
वकीलों द्वारा प्रदान की गई कानूनी सेवाएँ -Legal Services Provided By Advocates
ओला उबेर जैसी कैब सेवाएँ – Cab Services Provided Through E-Commerce Operators (इसमें GST Charge करने और सरकार को जमा कराने की जिम्मेदारी कैब कंपनी की होगी )

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